Tuesday, 17 August 2021

#वर्षों बाद हमने भी चखा थोड़ी सी स्वतंत्रता का स्वाद -सागर रत्ना

15-अगस्त   


💁इस लेख में मैंने स्कूल-कॉलेज के बाद के स्वतंत्रता दिवस और जीवन के दैनिक क्रिया-कलाप का तालमेल या लेखा-जोखा देने का प्रयास किया है। साथ ही ये बताने की कोशिश की है कि मानव यदि हर दिन एक जैसी दिनचर्या में बंधा रहता है तो उसके कार्य करने की क्षमता कहीं कहीं स्वयं कम हो जाती है। उसका एक सीधा एवं वैज्ञानिक कारण है खुशी देने वाले रासायनिक तत्वों का कम या स्थिर हो जाना। तो मन को खुश और दुरुस्त रखने के लिए अपने मस्तिष्क को डोपामाइन की भी एक निश्चित मात्रा देनी पड़ेगी ,नहीं तो खुशी नाम की बुलबुल को ढूंढते रह जाएंगे।
 

           15 अगस्त ,26 जनवरी के पर्व भी स्कूल -कॉलेज के बाद ज्यादातर सामान्य ही रहते आए हैं। सुबह दूध का काम ,फिर भैया-भाभी की सरकारी सेवा दोपहर का खाना ,शाम की चाय पुनः दूध का काम ,रात का खाना और दिन समाप्त। बरसात के दिनों में पूरे उत्तराखंड में बरसात का कोई नियम नहीं तो हल्द्वानी भी इससे प्रभावित होता ही है तो यहां 24 घंटे से भी ज्यादा लगातार रिमझिम होती रह सकती है। सब्जी लाने की दिक्कत कार से भी बाहर तो निकलना ही पड़ेगा और जो ले भी आओ तो ज्यादा दिन टिकती नहीं इनदिनों।

            मैंने एक रात पहले ही बता दिया था घर में बनाने लायक कुछ भी नहीं है आलू भी नहीं!!! 12 बजे दोनों लोग आए अब सब्जी के नाम पर एक वार्ता हुई जो भाई पर उलटी पड़ गई और हमलोगों ने निश्चय किया की चारों लोग जायेंगे सब्जी और बाकी सामान लाने वहीं से दोपहर का खाना भी खाते आएंगे। हमारे खाना खाने की बस दो ही स्थान हैं स्टेंडर्ड और अतिथि वैभव के जन्मदिन पर हमलोग "सागर रत्ना "जाने वाले थे पर उसदिन बजरंबली का बुलावा आया और हम हनुमान मंदिर -छोई रामनगर ,जो हल्द्वानी से लगभग 50 किमी है ,चले गए उसी में पूरा दिन हो गया और खाना भी घर पर ही हुआ।


            आज मौसम भी अनुकूल था ज्यादा धूप ही बरसात वरना ज्यादा बरसात में काठगोदाम से आगे जाने के लिए सोचना पड़ता है। हल्द्वानी से यही कोई 12-13 किमी रहा होगा। खाने में एक -एक डोसा के साथ एक थाली चख कर देखी थी। थाली और कटोरी डोसे की तुलना में छोटी थीं मुझे तीखा पसंद है तो गरमागरम सांभर का अपना ही आनंद है ,चम्मच यहां भी बड़ी ही थीं जो विदेशी सोच पर आधारित है -कि खाना जल्दी खतम हो सके-पर मैं इससे कभी सहमत नहीं हो पाई। स्वाद की बात करूं तो हमलोग संतुष्ट नहीं हुए हां वहां बैठकर सुकून बहुत मिला दो तरफ से आमंत्रण देती पहाड़ियां ऊँचे-नीचे, घने धान की फसल से हरे होते खेत। दूर से खिलौनेनुमा दिखते घर दूसरी ओर से आते-जाते वाहन और एक नर्सरी में कुछ ज्यादा ही छोटे गमलों में उगाए गए पौधे।

                                                                   💬                                                                        

             स्वतंत्रता दिवस और सावन का मिला-जुला आनंद दे रहे थे उस पर भी खाना खाने के बाद बारिश शुरू  हो गई जिसने, जो थोड़ी कमी रही पूरी कर दी। अभी 2 बजे थे तो हमारे पास समय था सो थोड़ी देर बैठे रहे। जब निकले तब भी बरसात हो ही रही थी रेस्टोरेंट वाले भैया छाता ले कर कार तक छोड़ने आए।भुट्ठे वाले तो यहां जगह-जगह मिलेंगे ही। CPU रास्ते में कई जगह खड़ी थी ,नैनीताल जाने वाले पर्यटकों की गाड़ियों की लम्बी लाइन थी चेकिंग में। बाजार में कहीं बरसात नहीं थी ऐसा अक्सर होता है यहां। एक -दो किमी पर इंद्रदेवता भेद-भाव करते हैं। बाकी का सामान रह गया था लेने को तो स्टोर वाले को रास्ते से ही फोन कर दिया वो गाड़ी में रख गया हमसब का इस समय एक साथ बाहर जाना उसके लिए भी चौंकाने वाली बात थी तो

भुने हुए भुट्टे 




उसने भी मुझसे पूछ दिया -"दीदी कहां घूम कर रहे हो "
मैंने कहा ,भैया कितनी मुश्किल से आज निकले हैं
तो उसने भी उतनी ही हाजिर जवाबी से कहा "तभी तो पूंछा ......हाहाहाहा 😀😀😀😀😀"
 

और उसकी इस बात पर हमलोग भी बिना हँसे नहीं रह पाए।  

      तो ये था हमारा स्वतंत्रता दिवस पर अपनी स्वतंत्रता का बड़ा ही प्यारा और आनंद देने वाला अनुभव। जो हमें हमेशा याद रहेगा। इससे भी अच्छे समय की कामना करते हुए आप सभी को भी स्वतंत्रता दिवस की हीरक जयंती अर्थात 75 वें वर्ष की शुभकामनाएं।  धन्यवाद


               



सागर रत्ना 


 सागर रत्ना-1



 सागर रत्ना से दृश्य 


इसमें हमने सागर रत्ना ,हनुमानधाम (हनुमान मंदिर ) छोई रामनगर की बात की। स्वतंत्रता के व्यक्तिगत अर्थ भी होते हैं आपनेअभी-अभी पढ़ा होगा। होटलों में चम्मचों के सामान्य से बड़े आकार के होने का कारण और सागर रत्ना में कार्य कर रहे लोगों की मानवीय संवेदना दर्शाता व्यवहार आदि। 

 सागर रत्ना के पास की नर्सरी 



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