चैतन्य महाप्रभु |
नृत्य मानवीय अभिव्यक्तियों का एक रसमय प्रदर्शन है। यह एक सार्वभौम कला है, जिसका जन्म मानव जीवन के साथ हुआ है। बालक जन्म लेते ही रोकर अपने हाथ पैर मार कर अपनी भावाभिव्यक्ति करता है कि वह भूखा है- इन्हीं आंगिक -क्रियाओं से नृत्य की उत्पत्ति हुई है। यह कला देवी-देवताओं- दैत्य दानवों- मनुष्यों एवं पशु-पक्षियों को अति प्रिय है। भारतीय पुराणों में यह दुष्ट नाशक एवं ईश्वर प्राप्ति का साधन मानी गई है। अमृत मंथन के पश्चात जब दुष्ट राक्षसों को अमरत्व प्राप्त होने का संकट उत्पन्न हुआ तब भगवान विष्णु ने मोहिनी का रूप धारण कर अपने लास्य नृत्य के द्वारा ही तीनों लोकों को राक्षसों से मुक्ति दिलाई थी। इसी कड़ी में कई उदहारण हैं।
भारतीय संस्कृति एवं धर्म आरंभ से ही मुख्यत- नृत्यकला से जुड़े रहे हैं। पत्थर के समान कठोर व दृढ़ प्रतिज्ञ मानव हृदय को भी मोम सदृश पिघलाने की शक्ति इस कला में है। विश्वामित्र-मेनका का भी उदाहरण ऐसा ही है। यही इसका मनोवैज्ञानिक पक्ष है। जिसके कारण यह मनोरंजक तो है ही- धर्म- अर्थ- काम- मोक्ष का साधन भी है।
अगर ऐसा नहीं होता तो यह कला-धारा पुराणों- श्रुतियों से होती हुई आज तक अपने शास्त्रीय स्वरूप में धरोहर के रूप में हम तक प्रवाहित न होती। इस कला को हिन्दू देवी-देवताओं का प्रिय माना गया है। भगवान शंकर तो नटराज कहलाए- उनका पंचकृत्य से संबंधित नृत्य सृष्टि की उत्पत्ति- स्थिति एवं संहार का प्रतीक भी है। भगवान विष्णु के अवतारों में सर्वश्रेष्ठ एवं परिपूर्ण कृष्ण नृत्यावतार ही हैं। इसी कारण वे 'नटवर' कृष्ण कहलाए। एक नृत्यशैली चैतन्य महाप्रभु की भी है। ईश्वर में स्वयं रमने और मानव के साथ पशुओं को भी रमाने की अद्भुत शक्ति थी महाप्रभु में । मीराबाई का संतों के साथ नृत्य-कीर्तन आदि।
जिस तरह भारत में कोस-कोस पर पानी और वाणी बदलती है वैसे ही नृत्य शैलियाँ भी बदलती हैं। नृत्य का प्राचीनतम ग्रंथ भरत मुनि का नाट्यशास्त्र है। इसके उल्लेख वेदों में भी मिलते हैं, हड़प्पा और मोहनजोदड़ो की खुदाईयों में प्राप्त मूर्तियों के संबंध में पुरातत्वेत्ता नर्तकी होने का दावा करते हैं। ऋगवेद के अनेक श्लोकों में नृत्या शब्द का प्रयोग हुआ है। यर्जुवेद में भी नृत्य संबंधी सामग्री प्रचुर मात्रा में उपलब्ध है। नृत्य को उस युग में व्यायाम के रूप में माना गया था। शरीर को अरोग्य रखने के लिये नृत्यकला का प्रयोग किया जाता था।
आज भी कोई खुशी का कार्य नृत्य के बिना संपूर्ण नहीं होते। हाल ही में बॉलीवुड नृत्य की एक नई शैली अति लोकप्रिय हो चुकी है जो भारतीय सिनेमा पर आधारित है। कोरोनाकाल से सोशल साइड्स पर नृत्य कलाकारों की सुनामी सी आ गई है। हर कोई एक दिन में ही वश्वविख्यात होना चाहता है जिसके लिए सस्ते और भद्दे किस्म के नृत्य पेश किए जा रहे हैं। हर पल एक नृत्य विडिओ अपलोड होते दिख जाएगा।
अब नृत्यकला का उद्देश्य "येन -केन प्रकारेण " केवल खुद को मुख्यपृष्ठ पर लाने से ही है। टीवी पर नृत्य के अनगिनत कार्यक्रम आते हैं और वहां माता-पिता अपने नन्हे-मुन्नों को लेकर विश्वविजेता बनाने को निकल पड़ते हैं। अब वो ज़माने बीत गए जब दुल्हन लजाती -शर्माती जयमाल डालने आती थी। दुल्हन ने भी नृत्य करते हुए अंगप्रदर्शन की पूरी जिम्मेदारी उठा रखी है। अब मेनका-रम्भा सब पृथ्वी पर ही उतर आईं हैं।नहीं तो शादी और अन्य ख़ुशी के अवसर पर ये अधिकार गरीबों को था जो आपके आयोजन की रौनक भी बढ़ाते थे और उन्हें बदले में चार पैसे भी मिल जाते थे।
ये तो बहुत सामान्य बात है ! माँ ख्याति पाने के लिए अपने 10-12 साल के बच्चे के साथ कैसे भी विडिओ बनाने में हिचकती नहीं है।वर्दी में सरकारी पिस्तौल के साथ वीडियो बनाया और उसे सोशल मीडिया पर सार्वजनिक कर दिया। वायरल होने के इस बुखार ने 26 अगस्त 2021 को आगरा की महिला सिपाही प्रियंका मिश्रा को कहीं का नहीं छोड़ा। सोशल मीडिया पर ट्रोलिंग से परेशान प्रियंका को न सिर्फ मानसिक उत्पीड़न से गुजरना पड़ा है साथ ही उनकी नौकरी भी चली गई। खुद इनका ही विभाग इनकी सुरक्षा के लिए कुछ नहीं कर सका।पर सामाजिक दृष्टि से देखा जाए तो इस्तीफा स्वीकृत होना ठीक भी है ,इससे आगे कोई भी ऐसा करने से पहले थोड़ा तो सोचेगा।
आजकल एक वाक्य चलन में है कि-"हमें न सिखाओ हम सब जानते हैं" अब देख लीजिए कि आप कितना जानते और समझते हैं। देवगुरु वृहस्पति ने उन्हें इस पद पर पहुंचाया और जाने कहां से शनि ने उनको डुबा दिया ये महिला सिपाही ने सपने में भी नहीं सोचा होगा। भाग्यवादी बनना अच्छा नहीं है पर किस्मत चार कदम आगे चलती है आप माने या न माने। तो तेज दौड़ने के साथ गिरने से भी बचते रहिए -नियति में कोई भेद-भाव नहीं है ,वो सबको नाप-तौल कर देती है।
प्रियंका मिश्रा |
शरीर को अगर वायरल हो जाए तो उसे उतारने के लिए कम से कम 5-6 दिन तक प्रतिजैविक या एंटीबायोटिक लेते हैं। पर इस वायरल को बनाए रखने के लिए- तो लोग कुछ भी करने को तैयार हैं कुछ भी !
इसी बुखार में सितम्बर को ही एक और नाम जुड़ा श्रेया कालरा का जो इंदौर से हैं इन्होंने बीच सड़क पर नृत्य करके प्रसिद्धि हासिल करना चाही। मध्य प्रदेश के गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा ने इनपर कानूनी कार्यवाही करने की मांग की और ट्रैफिक पुलिस ने इन पर केस दर्ज कर दिया।
श्रेया कालरा |
ये लेख किसी एक व्यक्ति या समाज को इंगित नहीं करता बल्कि एक सोच को इंगित करता है।हमें समय-समय पर ये मंथन-मनन करते रहना चाहिए कि हम अपने बच्चों या समाज को क्या दे रहे हैं या क्या देना चाहिए क्योंकि जो देंगे उसको उसी रूप में प्राप्त होने से हमें कोई बचा नहीं सकता। जिसकी ताजातरीन परिणति महिला सिपाही को भुगतनी पड़ी। अपने किए के सबसे पहले जिम्मेदार आप स्वयं हैं।
आपने इस लेख में वायरल होने के बुखार, एंटीबायोटिक का काम, चैतन्य महाप्रभु ,विश्वामित्र ,मेनका ,नटराज ,प्रियंका मिश्रा,श्रेया कालरा ख्याति पाने के लिए लालायित माँ विश्वविजेता बनने की अत्यधिक होड़ अदि के बारे में पढ़ा।
धन्यवाद !
जय हो "वायरल बाबा " की!!!!!!!!!
आज के नृत्य |
👍🏻👍🏻👌🏻
ReplyDelete